हिंदुस्तान की जवानी तमाशबीन है। हम देखते रहते हैं खड़े होकर, जीवन का जैसे कोई जुलूस जा रहा है। पैसिव, रुके हैं, देख रहें हैं; कुछ भी हो रहा है! सारे मुल्क में कुछ भी हो रहा है। शोषण हो रहा है, जवान खड़ा हुआ देख रहा है! अन्याय हो रहा है जवान खड़ा हुआ देख रहा है। बेवकूफियां हो रही हैं, जवान खड़ा देख रहा है!जड़ता धर्मगुरु बन कर बैठी है, जवान खड़ा हुआ देख रहा है! सारे मुल्क के हितों को नष्ट किया जा रहा है और जवान खड़ा हुआ देख रहा है! यह कैसी जवानी है?
जिंदगी के खून के पीने वाले तत्वों से लड़ना पड़ेगा :शोषण से लड़ना पड़ेगा, जिंदगी को विकृत करने वाले तत्वों से लड़ना पड़ेगा, जिंदगी के खून के पीने वाले तत्वों से लड़ना पड़ेगा। तो आदमी जवान होता है। वह सागर की लहरों पर जीता है फिर। फिर तूफानों में जीता है। फिर आकाश में उसकी उड़ान होनी शुरू होती है।
जवानी सदा लड़ती है और निखरती है :सामूहिक लड़ाई की तो बात अलग है और बिना फाईट के बिना लड़ाई के जवानी निखरती नहीं। जवानी सदा लड़ती है और निखरती है। जितना लड़ती है उतना निखरती है। सुंदर के लिए सत्य के लिए, शिव के लिए जवानी जितनी लड़ती है, उतनी निखरती है।
तुम चुपचाप मानते चले जा रहे हो कुछ भी! न तुम्हारे मन में संदेह, न जिज्ञासा है, न संघर्ष है, न पुकार है, न पूछ है, न इंक्वायरी है- कि यह क्या हो रहा है? कुछ भी हो रहा है, हम देख रहे हैं खड़े होकर! नहीं ऐसे नहीं जवानी पैदा होती है।
जवानी संघर्ष से पैदा होती है : इसलिए दूसरा सूत्र में तुमसे कहता हूं और वह यह कि जवानी संघर्ष से पैदा होती है। संघर्ष गलत के लिए भी हो सकता है, और तब जवानी कुरूप हो जाती है। संघर्ष बुरे के लिए भी हो सकता है, तब जवानी विकृत हो जाती है। संघर्ष अंधेरे के लिए भी हो सकता है, तब जवानी आत्मघात कर लेती है। लेकिन संघर्ष जब सत्य के लिए, सुंदर के लिए, श्रेष्ठ के लिए होता है, संघर्ष जब परमात्मा के लिए होता है, संघर्ष जब जीवन के लिए होता है, तब जवानी सुंदर, स्वस्थ, सत्य होती चली जाती है।
लड़ो सत्य के लिए : हम जिसके लिए लड़ते हैं, अंतत: हम वही हो जाते हैं। लड़ो सुंदर के लिए और तुम सुंदर हो जाओगे। लड़ो सत्य के लिए और तुम सत्य हो जाओगे। लड़ो श्रेष्ठ के लिए, और तुम श्रेष्ठ हो जाओगे। और मत लड़ो- तुम खड़े-खड़े सड़ोगे और मर जाओगे और कुछ भी नहीं होओगे। जिंदगी संघर्ष है और जिंदगी संघर्ष से ही पैदा होती है। फिर जैसा हम संघर्ष करते हैं, हम वैसे ही हो जाते हैं।
जवानी नहीं है, इसलिए कुछ भी हो रहा है : हिंदुस्तान में कोई लड़ाई नहीं है, कोई फाइट नहीं है! हिंदुस्तान के मन में कोई भी लड़ाई नहीं है! सब कुछ हो रहा है, अजीब हो रहा है। हम सब जानते हैं, देखते हैं- सब हो रहा है। और होने दे रहे हैं। अगर हिंदुस्तान की जवानी खड़ी हो जाए तो हिंदुस्तान में फिर ये सब नासमझियां नहीं हो सकती जो हो रही हैं। एक आवाज में टूट जाएगी। चूंकि जवानी नहीं है, इसलिए कुछ भी हो र
साभार: ओशो टाइम्स इंटरनेशनल 1 मई 1993
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