जो लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानते हैं वह यह भी समझते हैं कि मोदी अपनी छवि को लेकर किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करते, इसके लिए चुनाव में भले ही हानि हो जाए वह अपना धर्म और कर्म कभी नहीं भुलते. एक साक्षात्कार में उन्होंने माना कि मैं दूसरे के धर्म का बहुत ही सम्मान करता हूं लेकिन अपना धर्म और अपनी संस्कृति को कभी नहीं भूलता.उनकी संस्कृति में भगवान शिव की उपासना का बहुत ही बड़ा महत्व है. यह भगवान शिव की ही महिमा थी कि आज मोदी देश के सबसे बड़े पद पर विराजमान है. मोदी के चुनाव प्रचार और उसके बाद प्रधानमंत्री बनने तक के सफर पर यदि नजर दौड़ाएं तो यह साफ जाहिर होता है कि मोदी शिव के बहुत ही बड़े भक्त हैं.काशी से चुनाव लड़ना जिस गुजरात नें नरेंद्र मोदी को भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की उस गुजरात को छोड़कर आखिर क्यों मोदी ने चुनाव के लिए भोले की नगरी काशी को चुना?. हालांकि मोदी ने गुजराज के वडोदरा को भी चुना था लेकिन दोनों जगहों से चुनावी जीत हासिल करने के बाद भी उन्होंने कर्म भूमि के रूप में काशी को चुना.वैसे कुछ लोग उनके काशी चुनने पर राजनीति कारण भी बताते हैं. उनके अनुसार यदि मोदी काशी को चुनते तो इसका फायदा न केवल यूपी में भी होगा बल्कि यूपी से सटे बिहार में भी देखने को मिलेगा. चुनाव परिणाम यह समीकरण सही भी साबित हुआ. ‘हर हर मोदी, घर घर मोदी’ लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के इस नारे ने सबका दिल छुआ था, लेकिन स्वयं मोदी ने अपने समर्थकों से अनुरोध किया कि हर हर मोदी के नारे न लगाए. इसकी सबसे बड़ी वजह थी उनकी शिव भक्ति. शिव को ही ‘हर हर महादेव’ के नारे से जाना जाता है तथा मोदी नहीं चाहते थे कि उनके प्रिय शिव के उद्घोष द्वारा उन्हें पुकारा जाए. भोलेनाथ की कृपा के प्रति आभार प्रकट करना चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बाद जहां विश्वभर में मोदी की तारीफ की जा रही थी वहीं स्वयं मोदी इस अवसर पर भगवान शिव शंकर को धन्यवाद करना नहीं भूले. जीत के दूसरे ही दिन उन्होंने काशी जाकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया, पूरे विधि विधान के द्वारा भोलेनाथ की कृपा के प्रति आभार प्रकट किया. क्योटो की तर्ज पर काशी को स्मार्ट सिटी बनाना उन्हें भगवान शिव की नगरी काशी से इतना प्रेम है कि हाल ही में जब वह जापान के दौरे पर थे तब उन्होंने क्योटो की तर्ज पर काशी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अपनी इच्छा जाहिर कर दी. मोदी का नेपाल दौरा 17 साल बाद भारत की तरफ से कोई प्रधानमत्री नेपाल के दौरे पर गया तो वह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. इसके पीछे का जो तर्क दिया जाता है वह राजनीति और कूटनीति है. लेकिन एक और वजह थी जिसके लिए उन्होंने नेपाल को अपने दौरे के लिए चुना. शिव की प्रति उनकी भक्ति को देखते हुए भारत सरकार द्वारा जानबूझ कर उनकी विदेश यात्रा संबंधित कार्यक्रम को ऐसा बनाया गया कि मोदी सावन के आखिरी सोमवार के दिन काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा कर सकें. मोदी ने खुद इसका ख्याल रखा. मां गंगा के प्रति समर्पण मोदी के पूर्व ऐसी कोई सरकार नहीं थी जिन्होंने मां गंगा को साफ करने के लिए विभागीय पहल की हो. नरेंद्र मोदी ने इसके लिए एक मंत्रालय बनाया. मोदी का ऐसा करने के पीछे भी एक कारण उनका भोलेनाथ से जुड़ा होना है. असल में गंगा मां शिव भगवान की जटाओं से बहती है तथा इसलिए भोलेनाथ के साथ-साथ गंगा मां के लिए भी मोदी का समर्पण जग जाहिर है. मोदी की दिनचर्या रोजाना सुबह-सुबह मोदी बहुत जल्दी उठते हैं तथा स्नान के बाद भोलेनाथ की पूजा किए बिना अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करते. यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी के सरकारी आवास में भोलेनाथ के अद्भुत तस्वीर जगह-जगह लगी हुई है तथा उनके पूजा घर में ज्यादातर भगवानों के साथ-साथ भोलेनाथ का विशेष स्थान है. गौर करने वाली बात यह है कि मोदी के मोबाइल तथा लैपटॉप का वॉलपेपर भी भगवान भोलेनाथ की तस्वीर है.
मोदी के हर काम के सिद्ध होने में इनकी उपासना का बड़ा ही महत्व है

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