अपने क्षेत्र के लोगों के साथ झोपड़ी में ही रहता है इस विधायक का पूरा परिवार आज जब निगम पार्षद और ग्राम प्रधान भी अपने लिए आलीशान मकान बना लेते हैं, ऐसे में किसी नेता का जो विधायक के पद पर होकर भी झोपड़ी में रहता है आश्चर्यजनक लग सकता है. उत्तर-प्रदेश के बहराइच जिले के एक विधायक आज भी घासफूस से बने मड़ई में रहते हैं. एमएलए बेमिसाल का खिताब जीत चुके इस विधायक का नाम है बंशीधर बौद्ध.बंशीधर का आशियाना बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूर कतर्नियाघाट के जंगल में है. इस इलाके को बिछिया के नाम से जाना जाता है और यह बाघ और तेंदुओं का कोर जोन है. इस इलाके के अंतर्गत जंगल में बसा टेड़िया गांव आधुनिक विकास से कोसों दूर है. इसी गांव में विधायक बंशीधर का चार छप्परों का आशियाना है.दरवाजे पर बनी एक मड़ई में विधायक जी की चौपाल लगती है, तो अंदर की मड़ई में उनकी तीन बहू और पांच बेटों से भरा उनका पूरा परिवार रहता है. घर का एक हिस्सा घांसफूस से बना टटिया है जिसमें एक टीवी लगी है. टटिया में दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की फोटो भी लगी है. बंशीधर लोकसभा चुनाव के दौरान हुए बलहा विधानसभा के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए थे. वे इससे पहले वो दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं.जंगल के बीचो बीच घांसफूस और मिट्टी से बने इस घर में रहने की वजह बताते हुए बंशीधर बताते हैं कि, “इलाके के लोगों ने हमें चुना है, उनकी भावनाएं हमसे जुड़ीं हैं. अगर मैं इन्हें छोड़कर चला गया तो इनकी भावनाओं को ठेस पहुंचेगी.” दरअसल नई बस्ती टेड़िया गांव वन्यजीव क्षेत्र में आता है जिसके चलते इस गांव में पक्के निर्माण पर प्रतिबंध है. हालांकि बंशीधर इसी गांव में रहे ऐसी कोई मजबूरी नहीं है.बंशीधर के अनुसार, “मैं मूल रूप से मऊ जिले का रहने वाला हूं, उनके पूर्वज यहां जंगल की रखवाली के लिए लाए गए थे, फिर इसी जंगल और यहां रहने वाले लोगों से मन लग गया. अब इन्हें छोड़कर जाने का मन नहीं होता.”बंशीधर सिर्फ गांव में रहते नहीं हैं बल्कि उनकी दिनचर्या भी गांव के दूसरे लोगों की जैसी है. सुबह 6 बजे उठकर दरवाजे पर झाडू लगाते हैं. लखनऊ में कोई काम और विधानसभा की कार्यवाही नहीं चल रही होती तो दिन में अपने खेतों में काम करते हैं. एक बड़े छप्पर के नीचे खड़े ट्रैक्टर को दिखाते हुए बंशीधर कहते हैं, “मेरे पास छह एकड़ जमीन है. धान, गन्ना और आलू की खेती करता हूं. बड़े बेटे ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए इसलिए सब मिलकर खेती करते हैं. घर में कोई नौकर नहीं है.”
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