भारतीय रेलवे की दुर्घटनाओं की श्रंखला में एक बार फिर से गोरखपुर में पटरी से उतरी बरौनी एक्सप्रेस के डिब्बे से कृषक एक्सप्रेस की टक्कर होने के बाद सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं सामने आने लगी हैं. देश क्या पूरी दुनिया में ही इस तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं जिनमें किसी एक पटरी पर दुर्घटनाग्रस्त हुई सवारी या मालगाड़ी की टक्कर दूसरी गाड़ी से हो जाने पर इस तरह से भयावह दुर्घटना हो जाया करती है. रेलवे परिचालन में इस तरह से डिब्बों के पलट जाने के कई कारण होते हैं पर व्यस्त भारतीय रेल नेटवर्क के पास अभी तक कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं हो पाया है जिसके माध्यम से दोहरी पटरी पर हुई दुर्घटनाओं के बारे में समय रहते पता लगाया जा सके और दूसरी पटरी पर आने जाने वाली गाड़ियों को ट्रैक साफ़ होने तक चेतावनी जारी कर रोका जा सके ? भारतीय परिदृश्य में यह स्थिति तब और भी विकट हो जाती है जब क्षमता से अधिक भरी हुई सवारी गाड़ियां इस तरह से दुर्घटना की शिकार हो जाती हैं. इस बारे में अब भारतीय रेल और वैज्ञानिकों को इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए कुछ करना ही होगा और यदि संभव हो तो धरातलीय नेटवर्क के साथ ही पूरे रेल परिचालन को उपग्रह के माध्यम से निगरानी के अंतर्गत भी लाने का प्रयास किया जाना चाहिए. कई बार किसी गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसके चालक व गार्ड भी जख्मी हो जाते हैं तो उस स्थिति में अधिकारियों या अगले स्टेशन तक किसी भी तरह की सूचना भी नहीं पहुँच पाती है और दूसरी पटरी पर आती हुई किसी अन्य गाड़ी के टकरा जाने से दुर्घटना का स्वरूप और भी वीभत्स हो जाता है. यदि गाड़ियों में कोई ऐसा टक्कर रोधी यंत्र लगा हो जो किसी भी तरह के कारणों से गाड़ी के पटरी पर असामान्य तरीके से रुकने या दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दूसरी पटरी पर आने वाली गाड़ी के चालक को सूचित कर सके तो पूरी व्यवस्था में दुर्घटना के स्तर और तीव्रता को भी कम किया जा सकता है. भारतीय रेल अपने आप में बहुत बड़ा नेटवर्क है और अब समय आ गया है कि इसके परिचालन में उपग्रह आधारित किसी भी सेवा की संभावनाओं को टटोला जाए और उसके अनुरूप हर एक गाड़ी पर उसी तरह से नज़र रखने का क्रम शुरू किया जाये जैसे हवाई यातायात पर नियंत्रण रखा जाता है. आज भारतीय रेल ने जिस तरह से अपनी सभी गाड़ियों के बारे में ताज़ा और सटीक जानकारी देने का तंत्र विकसित कर लिया है यदि उसका भी इस तरह से उपयोग किया जाये तो हर एक गाड़ी के वास्तविक चाल और अनावश्यक रुकने पर पूरी नज़र रखी जा सकती है. कम से कम दो स्टेशनों के बीच चल रही हर गाड़ी के परिचालन की जानकारी के मुहैय्या होने के बाद अब इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि इंजन में जीपीएस आधारित यंत्र लगाये जाएँ तो गाड़ी की सही स्थिति के बारे में बताते रहें और हर गाड़ी के चालक को अगले कुछ किलोमीटर के ट्रैक के बारे में लाइव जानकारी देते रहें जिससे किसी भी तरह के अवरोध के होने पर दूसरी गाड़ियों के चालक अपने गति को नियंत्रित करने या गाड़ी रोकने के बारे में फैसला कर पाने में सक्षम हो सकें.
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