मोहम्मद प्रधान सम्पादक – द मॉर्निंग एक्स्प्रेस

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए खेमे को छोड़कर कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के साथ आए हुए 10 महीने होने जा रहे हैं। यही वज़ह है कि विपक्षी दलों के बीच अब उद्धव ठाकरे अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की कवायद में जुट गए हैं। बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के द्वारा बुलाई गई गैर-एनडीए मुख्यमंत्रियों की बैठक में इसका नजारा देखने को मिला, जब उद्धव ठाकरे ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा कि दीदी हम साथ रहेंगे तो हर आपत्ति डरेगी, हमें फैसला करना चाहिए कि हमें केंद्र सरकार से डरना है या लड़ना है?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पहली बार इस तरह से किसी बैठक में आमने-सामने नजर आए थे। उद्धव और सोनिया के बीच अच्छी केमिस्ट्री देखने को मिली। उद्धव ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनने की बधाई दी। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर जिस तरह सख्त तेवर दिखाए हैं, उसके राजनीतिक मायने और महत्व निकाले जाने लगे हैं।
दरअसल, बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से बीजेपी के कुछ नेताओं ने उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को निशाने पर लिया है, जो ठाकरे वंशज के लिए यह अपने ऊपर अचानक बिजली गिरने जैसा रहा। यही वजह रही कि शिवसेना ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। इतना ही नहीं शिवसेना ऐसी भी सियासी लकीर खींचना चाहती है कि जब एनडीए से नाता तोड़ ही लिया है तो क्यों न वो खुलकर मोदी सरकार के खिलाफ खड़ी हो। अब तो राम मंदिर निर्माण और धारा 370 जैसे मामले ही हल हो चुके हैं। इसीलिए उद्धव ठाकरे अब सोनिया ही नहीं बल्कि ममता बनर्जी जैसे नेताओं के साथ खड़े होने में कोई गुरेज नहीं बरत रहे हैं, जिन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का भी आरोप हैं।
उद्धव ठाकरे ने सोनिया की बैठक में कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को जोरदार तरीके से अपनी आवाज उठानी चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार हमारी आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘हम करें तो पाप और वो करें पुण्य। ऐसा नहीं चलेगा.’ उन्होंने कहा, ‘आम आदमी की ताकत सबसे बड़ी होती है, उसकी आवाज सबसे ऊंची होती है और अगर कोई उसे दबाने की कोशिश करे तो उसकी आवाज उठानी चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है।’
उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार का क्या मतलब है, हम सिर्फ पत्र लिखते रहते हैं। क्या एक ही व्यक्ति बोलता रहे और हम सिर्फ हां में हां मिलाते रहें। ठाकरे ने कहा कि सरकार को चलाना हमारा कर्तव्य, साथ ही गणतंत्र की रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। राज्य सरकारों को कमजोर किया जा रहा है, हम उस ओर बढ़ रहे हैं, जहां पर सिर्फ एक ही व्यक्ति सब कुछ कंट्रोल कर रहा है, लेकिन संविधान हमेशा से ही फेडरल स्ट्रक्चर की बात करता है। उद्धव का यह बयान काफी महत्व रखता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दल की बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बोलने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, ‘उद्धव ठाकरे जी आप अच्छा लड़ रहे हैं।’ ममता का सीधा संकेत उद्धव के लिए मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने से था। इस पर उद्धव ने ममता बनर्जी से कहा, ‘मैं लड़ने वाले बाप का लड़ने वाला बेटा हूं। दीदी हम साथ रहेंगे तो हर आपत्ति डरेगी, हमें फैसला करना चाहिए है कि हमें केंद्र सरकार से डरना है या लड़ना ?’ एक तरह से उद्धव ठाकरे ने विपक्षी दलों के बीच मोदी सरकार के खिलाफ लड़ने के अपने तेवर का इजहार कर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। वही विपक्ष के लिए भी एक बडा प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि उसे केंद्र सरकार से डरना है या लड़ना है?