निराशा में आशा की किरण
पिछले दो दशकों में भ्रष्टाचार के सारे रिकोर्ड तोड़ चुकी भारतीय राजनीती का स्तर इतना निम्न हो गया की लोग राजनेता का मतलब भ्रष्ट मानने लगे. ऐसे में नेताओ के आचार विचार और उनके पहनावे के अनुकरण की बात बेमानी हो गयी. आम सभाओं में लोग नेताओं को सुनने नहीं, उनकी निकटता पाने और उनके […]