धर्म और आधुनिकता
जीवन को आत्म-अज्ञान के बिंदु से देखना संसार है; आत्म-ज्ञान के बिंदु से देखना संन्यास है। इसलिए जब कोई कहता है कि मैंने संन्यास लिया है, तो मुझे बात बड़ी असत्य मालूम होती है। यह लिया हुआ संन्यास ही संसार के विरोध की भ्रांति पैदा कर देता है। संन्यास भी क्या लिया जा सकता है? […]