बबुआ से महंगा न हो जाए झुनझुना
तब हमारे लिए’ देश ‘ का मतलब अपने पैतृक गांव से होता था। हमारे पुऱखे जब – तब इस ‘ देश ‘ के दौरे पर निकल जाते थे। उनके लौटने तक घर में आपात स्थिति लागू रहती । इस बीच किसी आगंतुक के पूछने पर हम मासूमियत से जवाब देते… मां – पिताजी तो घर […]